Shyam's reply
कांच पर भी आंच सकती हैं,छाया काया को छोड़कर जा सकती।
दोस्ती भी चंद सिक्को के लिए बिक सकती हैं,
सच्चे हैं तो बस माँ और दुश्मन, वे ही ऐसे दर्पण हैं, जो,
आपके ऐब आपको दिखा कर, आपकी हस्ती को उभारते हैं।
दोस्तों में दुश्मन कई मिल जाते मगर,
बेनक़ाब दुश्मन गर एक मिल जाएँ अगर .……
एक सच्चा दुश्मन दे दे मेरे मालिक
No comments:
Post a Comment