दर्द हल्का सा है,सांस भारी हैं, जिए जाने की रस्म जारी हैं.
हे मौत मुझ से पर्दा ना कर, अब तेरे आने की बारी हैं
ना गिला मौत से हैं, ना ज़िन्दगी से,ना ही बेरुखी हैं,खुदा के बन्दे से
बस रब का बुलावा है,सब छोड़ जाने की तयारी हैं
नज्मे हमारी,जीने का सहारा बनेंगी
तन्हाई जब सताए,टाक लेना आसमां
बादलों में, धुंदली ही सही,आपको
हामारी मुस्कुराती तस्वीर मिलेंगी
आँचल में छुपा लेना हमें,
दिल को राहत और तस्सली मिलेंगी
गर गम हद से गुजर जाए तो,चंद आंसू बहा देना,
आंसू पी जायेंगे हम,तड़पते रूह को चाहत मिलेंगी.
हम ना रहे तो क्या,हमारी यादें रहेंगी,
नज्मे हमारी,जीने का सहारा
We naturally feel elated when we cross a Milestone, but the very next moment we forget all about it and start in pursuit of the next Milestone.
How does the Milestone feel when it is treated as a Hero one moment and forgotten the next.
I have tries to present the feelings of the Milestone in my verse in Hindi.Hope you would like it.
मील का एक पत्थर हूँ मैं,
मुझ तक पोहंच्ना,हर कोई चाहता हैं क्यो
पोहंच कर,हर कोई आगे जाता है क्यों
दोबारा नहीं कोई आता है क्यों
मुझ तक पोहंचने की चाह,होती है सब में
कृषी और संकल्प,बस होतें है कुछ में
पहुँच पाना मुझ तक आसन नहीं ,
दिन में दिखा देता हूँ , तारे नभ में .
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